सावन के महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है मान्यता यह भी है कि इस समय भोले भंडारी सभी के ऊपर प्रसन्न रहते हैं और ऐसे में अगर आप भगवान शिव से सच्चे मन से जो भी मांगे आपकी वह मनोकामना जरूर पूर्ण होती है
लेकिन इसी के साथ थोड़ा धारणा यह भी है कि अगर शिव की पूजा करते समय थोड़ी सी भी चूक हो जाए तो इसका परिणाम बहुत ज्यादा बुरा हो सकता है उदाहरण के लिए अगर आप रुद्राक्ष धारण करते हैं जो कि भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है की ठीक से देखभाल नहीं करते हैं तो यह रुद्राक्ष आपको फायदा करने की जगह आप को उजाड़ के रख देगा
इसलिए शिव भक्तों को कुछ ज्यादा ही सतर्क रहने की जरूरत होती है कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो भगवान शिव के अलावा और किसी देवता को नहीं चढ़ती जैसे बेलपत्र धतूरा आंख इत्यादि तो इसलिए यह जरूरी है कि आप सावधानीपूर्वक इन चीजों का प्रयोग करें और भोलेनाथ को चढ़ाएं
सावन सोमवार की व्रत विधि सावन सोमवार की व्रत विधि इसलिए खास है क्योंकि सोमवार को भगवान शंकर का दिन माना जाता है और सावन का महीना भी भगवान शिव का माना जाता है इसलिए ऐसी मान्यता है कि सावन के सोमवार में व्रत रहने से आपकी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती हैं लेकिन इसके सही विधि क्या है आज हम आपको इस पोस्ट में बताने वाले हैं
सोमवार के दिन जल्दी उठकर के सूर्य उदय होने से पहले स्नान कर लेना चाहिए
शिव मंदिर में जाकर के भगवान शिव का जलाभिषेक करें उसी के साथ माता पार्वती और श्री गणेश को भी जल स्नान करवाएं क्योंकि यह दोनों भी भगवान शिव के परिवार का ही एक हिस्सा है
शिवलिंग पर भांग धतूरा आप आदि चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं प्रसाद के रूप में भगवान शंकर को घी और शक्कर का भोग लगाएं और फिर इस प्रसाद को सभी जानने वालों में वितरित करते हैं
धूप व दीप से पहले भगवान गणेश की आरती करें फिर उसके बाद भगवान शिव की आरती करके प्रसाद सभी लोगों में वितरित कर दें
भगवान विष्णु को शंख बहुत प्रिय है लेकिन इसी के विपरीत शिवजी ने शंखचूर नाम के शंख चूर नाम के एक राक्षस का वध किया था इसलिए शंकर जी के लिए पूजा के दौरान शंख नहीं बजाया जाता
इसी के साथ भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा अन्य किसी पुष्प को नहीं चढ़ाया जाता है शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि शिवजी को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती इसी के साथ हल्दी के बारे में भी बोला गया है कि शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती क्योंकि हल्दी का मुख्य उपयोग सौंदर्य कार्य के लिए किया जाता है परंतु हमारे भोले बाबा तो रात लपेट के ही मस्त रहते हैं ऐसे में हल्दी चढ़ाना उन्हें शोभा नहीं देता
शिव जी के ऊपर नारियल पानी से भी अभिषेक नहीं किया जाता क्योंकि नारियल को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और उसके पानी से यदि शिवलिंग का विषय किया जाए तो वह पीने योग्य नहीं रह जाता इसलिए नारियल ना शिव जी को चढ़ाया जाता है ना ही नारियल बने सुन का अभिषेक किया जाता है