मीराबाई चानू जब कांस्य पदक जीतकर देश वापस आए तो उन्हें बधाइयां देने वालों की मानो लाइन से लग गई हो इसी दौरान मीराबाई की खुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब उन्हें पता चला कि उनकी जीत की बधाई सलमान खान ने भी दी है इस बात से वह बहुत खुश थी लेकिन उनकी खुशी में 4 साल तक लग गए जब सलमान खान को पता चला कि मेरा भाई मुंबई में है और वह उनसे मिलने तुरंत वहां पहुंच गए
इसी के साथ सचिन तेंदुलकर ने भी मीराबाई की खेल की तारीफ की उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल मंच पर उन्होंने जिस तरीके से प्रदर्शन किया है वह काफी काबिले तारीफ है लेकिन इसके पीछे कुछ कड़वी सच्चाई भी है जिसे शायद आप नहीं जानते हो सकता हो सुविधाओं के अभाव की वजह से मीरा को कांस्य पदक मिला पर अगर सुविधाएं रहती तो वह शायद गोल्ड मेडल भेजी थी और अभी तक के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकते थे मीराबाई के संघर्ष की कहानी हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे
मीराबाई चानू 5 साल से कड़ी मेहनत के साथ गोल्ड मेडल के लिए तैयारी कर रही थी लेकिन सुविधाओं के अभाव के बावजूद उन्होंने पूरी जी जान लगा कर के तैयारी की और देश के लिए कांस्य पदक लेकर क्या है इसके साथ ही उन्होंने कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए तैयारी के लिए चालू प्रतिदिन 30 किलोमीटर साइकिल से स्टेडियम जाती थी उनका गांव शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर था जिस पर जाने के लिए वह साइकिल का इस्तेमाल करती थी,
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में जानू ने बताया कि उनकी सबसे ज्यादा सहायता ट्रक ड्राइवरों ने की है जो उन्हें उनके गांव से उठाते और स्टेडियम के पास छोड़ देते थे जिस वजह से खराब मौसम या कभी ऐसी परिस्थिति जिस समय वह साइकिल या पैदल नहीं जा सकती थी का सामना किया और अपनी तैयारी लगातार की
इंटरनेशनल तैयारी के लिए उनके कोच और डाइटिशियन ने बोला कि आप को अंडे और दूध का सेवन करना चाहिए जिससे आपके शरीर में ऊर्जा और ताकत है जब इस बात को जानू ने अपनी मां को बताया तुम की मां ने बोला कि हम किस तरीके से अंडे और दूध का इंतजाम कर पाएंगे इस समस्या से जूझते हुए चालू हफ्ते में सिर्फ एक बार अंडा या फिर दूध खाती थी और अपनी तैयारी में लग जाती थी
चानू के घर इतनी गरीबी थी कि उनकी मां की एक चाय की दुकान थी और उनके पिता सरकारी नौकरी तो करते थे पर उसमें पैसे बहुत कम थे जानू के घर में छह भाई-बहन थे जिनका पालन पोषण के माता-पिता के ऊपर था जिस वजह से सुविधाओं का हमेशा अभाव हुआ करता था और इस अभाव को भी सहते हुए तैयारी की और देश के लिए कांस्य पदक जीता जानू ने बताया कि सुविधाओं का अभाव इतना ज्यादा था कि कई बार तो हो बिना कुछ खाए पिए सिर्फ पानी पीकर के तैयारी करने चली जाती थी क्योंकि घर पर कुछ खाने के लिए नहीं रहता था
तैयारी के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब चालू की कमर में चोट लग गई और डॉक्टरों ने उन्हें 4 से 6 महीने के लिए बेड रेस्ट करने के लिए कहा उस समय चांद ने बताया कि वह स्कूल टूट गई थी उन्हें लगा था कि अब उनका सपना कभी पूरा नहीं हो सकता लेकिन इसके बावजूद चालू ने हार नहीं मानी और आगे बढ़कर के उन्होंने तैयारी करना शुरू किया
मोबाइल टीवी और यहां तक कि इंटरटेनमेंट के सारे साधनों से जानू ने संयास ले लिया था चालू ने बीबीसी को बताया कि तैयारी के दौरान वह अपने काम पर कितना सारा फोकस थी कि उन्होंने एक बार भी मोबाइल को छुआ तक नहीं